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मिश्रबंधु

सं० १९५६ पूर्व नूतन कान फुरेहरी हाथ रुमलिया जूता रंग बिरंगा। बने लिफाफा ऊपर चितव॑ फॅकहु सो उड़ि जावे ; घर में बेगम नंगी बैठी प्राप नवाब कहा। ऊँचे महल गली सकरी अति कोठे नरक कि दूती; सवक पढ़ाय छीनि धन सरबस पीछे मारे जूती । इत सित चलदल असित श्वान सह भैरवनाथ विराजें तेजपुंज अभिराम श्याम तन कोटि काम छवि लाजैं। प्रति रविवार देव-दरसन लगि होति इहाँ बड़ि भीरा शुरु रवि द्यौस भीर-भारन चपि धरति धरनि नहिं धीरा । नाम-(३५६३) रामावतार पांडेय एम० ए० (साहित्या- . चार्य) पटना। जन्म-काल-सं० १९३४ । ग्रंथ-(१) योरपीय दर्शन, (२)हिंदी-व्याकरणसार आदि अनेक ग्रंथ रचे हैं। विवरण-बाप धुरंधर पंडित एवं सरल और निष्कपट पुरुष थे। पटना-युनिवर्सिटी में कार्यकर्ता तथा साहित्य-सम्मेलन के सभा- पति थे। श्रापका शरीरांत लगभग १६८७ में हुआ । गद्य के. सुलेखक थे। नाम-(३५६४ ) सुंदरलालजी कटरा, प्रयाग। जन्म-काल-सं० १९३४ । ग्रंथ--(१) बालोपदेश, (२) बाल-पंचतंत्र, (३) बाल- गीतावलि, (४) बालस्मृतिमाला, (१) बाल-भोज-प्रबंधे, (६) बाल-घुवंश, (७) योगवाशिण्ठसार, (2) रामाश्वमेध, (१) भारत में अँगरेज़ी-राज्य ( यह ग्रंथ जप्त हो गया है)। विवरण --प्राचीन निवास स्थान धनमऊ, जिला मैनपुरी । श्राप देश-भक्त तथा राष्ट्रीय कार्यकर्ता एवं सुलेखक हैं। कई बार देश-प्रेस के