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मिश्रबंधु

शेष कदिगण विवरण-पूर्व देश में इनका जन्म हुआ था। नालंद विहार में शिक्षा पाई। सिद्ध नागबोधि के शिष्य थे। इनके ग्रंथ तंजूर में सुरक्षित हैं। उदाहरण- रारा गबड़ा ३ "एक से शुडिनि दुइ घरे सांधन, चीत्रण वाकलन वारुणी बांधश्र । ध्रु० सहले घिर करी वारुणी सांधे, जे अजरामर होइ दिट कांधे । ६० दशमि दुबारत चिह्न देखइआ, आइल गराहक अपणे बहिआ । ६० चउशाठि घड़िए देट पसारा, पइठल गराहक नाहिं निसारा । ध्रु० एक स दुली सरुइ नाल, भणति बिरुवा थिर करि चाल " ध्रु० (३११५) नास- -(१) दारिकपा (सिद्ध ७७)। समय-६५ के लगभग । अंथ-(१) ओष्टियान-विनिर्गत महागुह्यतत्वोपदेश, (२) तथता इंष्टि, (३) सप्तम सिद्धांत । विवरण-यह उड़ीसा के राजा थे। सिद्ध लूहिपाद के शिष्य हो और राज्य छोड़कर तपस्वी हो गए। इनके शिष्य वज्रघंटापाद या घंटापा (५२) थे। उदाहरण- राग वराड़ा ३४ "सुन करुणरि अभिन बारें का अ-वाक्-चिन, विलसइ दारिक गणत पारिमकुलें ॥ध्रु०