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मिश्रबंधु

सं० १९५३ पूर्व नूतन २२३ . . उदाहरण- विलोकत जाकी नई सुषमा सुखमानि समाने हैं रतिमार सजे तन सोनजुरी अनली के प्रखूनन हूँ से महा सुकुमार । जुरी बिजुरी वो घटा धन की-सी विचित्र' छटा सरसै बे सुमार; सो भानुकुमारी के तीर लसैं वृषभानुकुसारी वो नंदकुमार । । मयूरपखा उनके सिर पै इनके गुही वेली कि मंजु मरोर कसी उनके कटि काछनी पीत, चुभी उनके चुनि चूनरी छोर । 'विचित्र' सी वे इनपै, उनपै यै, करें रल बात में घात करोर ; गड़ी उनकी अखियाँ इनपै, उनकी इनपै विगड़ी बरजोर । २ । नाम-(३५२७ ) महेंदुलाल गर्ग (पंडित)। आपका जन्म सं० १९२८ में हुअा । आप सेना-विभाग में डॉक्टर थे, सो स्थान-स्थाल पर खूब घूमे । आपने काश्मीर और चीन भी देखे । गर्ग-विनोद, अनंतज्वाला, पृथ्वी-परिमा, पति- पत्नी-संवाद, तरुणों की दिनचर्या, जापान-दर्पण, चीन-दर्पण, जापानीय स्त्री-शिक्षा, प्लेग-चिकित्सा, ध्रुव-देश, सुख-मार्ग, परिचर्या- प्रणाली आदि अनेक उपयोगी ग्रंथ आपने लिखे । इनके अतिरिक्त डाक्टरी विषय के भी आपके कुछ अन्य ग्रंथ हैं । अनंतज्याला ग्रंथ हमारा देखा हुआ है । आपके ग्रंथ उपयोगी और शिक्षाप्रद हैं। आप बड़े उत्साही अपने धुन के पक्के सज्जन थे। नाम-(३५२८) सकलनारायण पांडेय । आपका जन्म सं० १९२८ में हुा । आप बड़े ही उत्साही पुरुप और उन्नति-संबंधी नवीन सामाजिक विचारों के पक्षपाती रहे । मुख्यशः श्राप ही के परिश्रम से आरा-नागरी-चारिणी सभा स्थापित हुई । अापने अनेक ब्रथ रचे, जिनमें से हिंदी-सिद्धांत- प्रकाश, सृष्टितत्व, प्रेमतरव, आरापुरातत्व, वीरबाला-निबंध-माला, व्याकरणताव आदि प्रधान हैं। राजरानी और अपराजिता आपके