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मिश्रबंधु

सं० १९५५ पूर्व नूतन २०६ के प्रायः १६ वर्ष पूर्व से हमारे मित्र रहे और इनका व्यवहार सदैव एक-सा रहा। पार्य-समाज के यह एक बड़े पक्के सभासद् थे, और उसकी प्रार्थनाओं तथा कार्यवाहियों में बड़ी रुचि रखते थे। आर्य- सामाजिक पत्रों में भी इन्होंने बहुतायत से लेख लिखे। इनके ग्रंथ परम सजीव एवं उच्चाशय-पूर्ण हैं। आपका शरीर-पात सं० १९७५ के निकट हुआ । गत महायुद्ध में जाकर आप रोग-ग्रस्त हो गए, जिससे कुछ दिनों में आपका स्वर्गवास हो गया । नाम-(३९१३) गंगाशंकरजी पंचौलो, बूंदी। जन्म-काल-सं० १९१४ रचना-काल-सं० १९५१-७५ । ग्रंथ-निम्न विषयों पर लेख-मालाएँ हैं- r (1) खेत भूमि की परीक्षा, औज़ार, बीज श्रादि । (२) खाद, (३) पशु-परीक्षा, (४) दूध व उसका उपयोग, (५) ईख और (१) कृषि- खाँद, (६) संकरीकरण अर्थात् पैबंद, जलम विद्या चढ़ाना आदि । (७) केला, () नींबू- नारंगी, (6) तरु-जीवन, (१०) कपास, (११) पालु, (१२) मूंगफली की खेती तथा उसके बीज का उपयोग । (३) विज्ञान तथा हुनर ( २ ) ज्योतिप { (१) नक्षत्र, (२) करण-लाधव, (३) ग्रहण-प्रकाश, (४) हकू संस्करण । (१) स्वर्णकारी, (२) काग़ज़-काम, रही का उपयोग आदि, (३) कृत्रिम काठ, (.) रसायन-शाचा