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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं० १९४६ माला, (C) विनयावली, ( 6 ) राजयोगमास्कर, (१०) भास्कर- मोक्ष-प्रकाश। जन्म-काल-१९२१ । विवरण-ग्रंथों के विषय नवीनता से दूर हैं । भक्ति-प्रधान रचना है। नाम-(३४६६) उमरावसिंह कारुणिक, मेरठ। ग्रंथ--(१) अनारकली, (२) कारनेगी और उसके विचार (३) आत्म-कहानी, (४) सुग़लों के अंतिम दिन, (५) सहा. कवि अकबर, (६) उपयोगितावाद, (७) आधुनिक सप्ताश्चर्य । विवरण- [-गय हिंदी-लेखक । 'ललिता' नाम्नी उच्च कोटि की मासिक पत्रिका का संपादन किया । नवीन प्रणाली के सुलेखक हैं । नाम---( ३४७० ) बाघेली विषाणुप्रसाद ढुलरिजी। यह महाशया रीवाँ-नरेश महाराजा रघुराजसिंहजी की पुत्री थीं। इनका विवाह जोधपुर के महाराज श्रीयशवंतसिंहजी के छोटे भाई सहाराज श्रीकिशोरसिंहजी के साथ, सं० १९२१ में, हुआ । इनकी भगवद्भक्ति सराहनीय है। इन्होंने एक अच्छा मंदिर बनवाकर उसकी प्रतिष्ठा सं० १९४७ में की । महाराज किशोरसिंहजी का देहांत सं० १९५५ में हो गया। कुंबरिजी ने अवधविलास और कृष्णविलास-नामक दो ग्रंथ बनाए । कानपुर-रसिक-समाज की समस्याओं पर इनकी कविता प्रायः छपा करती थी, जो स्तुत्य एवं भक्ति-पूर्ण है। इनका शरीर-पात १६६५ के लगभग हुआ । इनकी गणना वर्तमान-काल के सुकवियों में है। विषयों की प्राचीनता-मात्र कुछ खटकती है। उदाहरण--- छोडि कुल-कानि और आनि गुरु लोगन की जीवन सु एक निज जाहि हित मानी है;