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मिश्रबंधु

पूर्व नूतन (१६५६) तथा श्रीरामनेत (१९६०)। इन सब महाशयों ने. इतिहास-विभाग पर श्लाव्य परिश्रम किया है। इनके विवरण आगे कुछ विस्तार से मिलेंगे। हम (श्यामविहारी मिन तथा शुकदेवविहारी मिश्र) ने दो भागों में प्राचीन भारत का इतिहास रा। पहले खंड में प्रायः ५०० पृष्ठों में ६००० सं० पूर्व से ६०० सं० पूर्व तक का विवरण है, तथा दूसरे में ६०० संवत् पूर्व से मुसलमान-विजय तक का । आकार में दोनो भाग प्रायः बराबर हैं। इनके अतिरिक्त दो और छोटे-छोटे इतिहास-ग्रंथ हमने लिखे, तथा कई का संपादन किया। जीवन-चरित्र-रचयिताओं में सबसे पहले बड़े आदर के साथ महात्मा श्राद्वानंद का नाम आता है। आप भारतेंदु-काल में थे। आपने कई परमोत्कृष्ट जीवन-चरित्र रचे । व्याख्याता भी आप बढ़े ही उत्कृष्ट थे। शिवनंदनसहाय ने गोस्वामी तुलसीदास तथा भार- तेंदु के बहुत ही श्रेष्ठ जीवन-चरित्र लिखे । पूर्व नूतन परिपाटी-काल में अंबिकाप्रसाद त्रिपाठी ( १६५६), गोपालवल्लभ ( १९५३), श्यामसुदरदास (१९१७) तथा सूर्यकुमार वर्मा (१९६०) के नाम आते हैं। उपयुक्त प्रथम दो लेखक साधारण हैं, तथा सूर्यकुमार वर्मा ने इनसे बढ़कर जीवन- चरित्र बनाए हैं। श्यामसुंदरदास ने हिंदी-कोविद रनमाला में ८० लेखकों के जीवन-चरित्र लिखे, किंतु वे छोटे-छोटे लेख हैं। बाबू ब्रजनंदनसहाय (१९५६) ने चार बढ़िया जीवन-चरित्र रचे हैं । इस काल में इतिहास की अंग-पुष्टि तो अच्छी हुई, किंतु जीवन-चरित्रों में ताश उन्नति न हो सकी। पुरातत्व-विभाग में भारतेंदु-कालवाले प्रोमाजी तो प्रस्तुत हैं, किंतु कोई नवीन मारी झेखक न हुश्रा। अब भाषा-संबंधी उन्नति का कुछ कथन किया जाता है। हमारे