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मिश्रबंधु
मिश्रबंधू विनोद १३६
नाम-(३४६२) हजारीलाल कायस्थ, गोंडा।
ग्रंथ-साखी भाषा नानक साहब (पृष्ठ २३४ ),द्वि०त्रै०रि०।
नाम-(३४६३) हरिनाथजी, ग्राम पाली, जिला हरदोई।
विवरण--आप कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे । [पं० रामाशा द्विवेदीजी द्वारा ज्ञात] |
उदाहरण----
पल पुरवाई दिए अंजन घटान छाई, चोपि चितताई चपलाई मन भाई है; वगुला सिताई, असिताई केकी कोकिलाई, मंजु अरुनाई इंद्रधनु छति छाई है। प्रेम बरसाई 'हरिनाथ' नेम.भरि लाई, गजनि सवाई स्यों कटाच्छ दरसाई है; एरी भटू पाई कहाँ ऐसी चतुराई तेरे-- नैननि निकाई ऋतु पावस सुहाई है।
नाम--(३४६४ ) हरिवंशनारायण ।
ग्रंथ--सुदामा-चरित्र, [च० त्रै० रि०] ।
नाम--(३४६५) त्रिकमदास ।
ग्रंथ--(१) रुक्मिणी-विवाह, (२) अकोर-लीला, (३) पर्वत-पचीसी,(४) वैष्णव-संप्रदाय के स्फुट पद ।
विवरण --यह काठियावाड़ देशांतर्गत जूनागढ़ में बस गए
थे। श्राप नागर गृहस्थ मजुमदार थे । आपके सात पुत्रों में से रंजीतदास तथा देवशंकर अच्छे कवि हो गए हैं । आदि में आप वल्लभ-वंशोत्पन्न गोकुल-निवासी तैलंग ब्राह्मण थे ।