पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/३७५

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१३०६ मिश्रबंधु-विनोद कीन्हीं बरजोरी मोरी बाहन मरोरी माय, . बेचन न जैहों दधि गोकुल नगर में ॥ कहाँ है कहाँ है कस वाजत सुरीली राग, मुरली कलिंदी तट प्यारी ब्रजराज की; मधुप उड़े हैं कहँ शीतल पराग लेन ? बौरे हैं रसाल जहँ बारी नंदराज की। काहे को बिहाल बन बिहँग भ्रमे हैं आज? निकसी सवारी कहुँ मार महराज की; काहेरी सखिन मन उसँग बढ़े हैं आज, ___ जानत न भोरी है अवाई रघुराज की ॥३॥ नाम-(२५०६) शंकर ।। ग्रंथ-(१) भाषाज्योतिष, (२) ज्ञानचौंतीसी । [अ० त्रैरि०] सत्यनारायणकथा । कविताफाल-१६४४ के पूर्व । नाम-(२५०६ ) हीरालाल काव्योपाध्याय । ग्रंथ-(१) नवकांडदुर्गायन, (२) शालागीतचंद्रिका, (३) गीतरसिका, (४) छत्तीसगढ़ी व्याकरण । जन्मकाल-१६१२। मृत्युकाल-१९४६ । विवरण-आप बाबू बालारामचंद नाहू के पुत्र तथा उच्च कोटि - के गणितज्ञ थे। नाम-( ३५०६ ) रायबहादुर हीरालाल बी० ए० एम० आर० ए० एस०, रिटायर्ड डिप्टी कमिश्नर । ग्रंथ-(१)मध्यप्रदेश भौगोलिक गमार्थ परिचय, (२) दमोह- दीपक, (३) जबलपुरज्योति, (४) सागरसरोज, (१) सागरभूगोल, (६) इमसाबागं । . .