पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/३७४

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वर्तमान प्रकरण नाम-(२५०४ ) रत्नचंद्र, प्रयाग। ग्रंथ-(१) नूसन ब्रह्मचारी,(२) नूतन चरित्र, (३) गंगा. गोविंदसिंह, (४) वीरनारायण, (५) इंदिरा। . विवरण-~-गद्य-लेखक। नाम-(२५०५) रामप्रताप, जयपुर। नाम-(३१०१) शीतलप्रसाद उपाध्याय । ग्रंथ-(१) दूरदर्शी योगी, (२) शीतल समीर, (३) शीतल सुमिरनी, ()राजारामसिंह की बानी, (१) राजा राम- पालसिंह की योरपयात्रा, (६)शीतल संहार, (७) धर्म- प्रकाश। जन्मकाल-१९१७। रचनाकाल--१९५३ । विवरण-आप पं० दिक्पाल उपाध्याय के पुत्र हैं। आप हिंदी के अच्छे लेखक हैं, और हिंदोस्तान तथा सन्नाट का वर्षों संपादन किया है। उदाहरण- आए हो यो सिखावन योग तो या धज की सगरी ब्रजवाला; लावेंगी भूति सबै तन में श्री रचेंगी त्रिपुंड सुधारि सुमाना। धारेंगी मेसहू योगिन को कर लेकै कमंडल औ मृगछाला; जाएँगी शीतल माधव द्वार जयेंगी वही हरि नाम की माला ।। कुंजवन सघन अकेली हाय भूली मृग, मिलो एक युवक अचानक डगर में; मटुकि हमारी फोरि सारी को बिगारि दीन्हीं, कंचुकी को फारि दीन्हीं शीतल मगर में। गति जो हमारी भई कहत बनत नाहि, ऐसी तो हिठाई देखी काहू न लँगर में;