पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/३४६

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वर्तमान प्रकरण १२७७ उदाहरण- जा कह रति कहि पूत खिलाई ; पय निज छातिन केर पिलाई। सोई प्रद्युम्न पती रति नारी ; भाल लिखी लिपि को सक टारी । (२३८४ ) ज्वालाप्रसाद वाजपेयी इनका उपनाम मखजातक था। ये तार गाँव जिला उन्नाव के निवासी थे। आपका रचनाकाल संवत् १६४५ के लगभग समस पड़ता है। आप साधारण श्रेणी के कवि थे। (२३८५ ) अमृतलाल चक्रवर्ती ये नावरा ज़िला चौबीस-परगना के निवासी संवत् १९२० में उत्पन्न हुए थे । श्राप एक प्रसिद्ध प्राचीन लेखक हैं और समय-समय पर हिंदी दंगवासी, वेंकटेश्वर एवं हिंदोस्तान का संपादन झिया, तथा श्रापकी रची हुई पुस्तकों के नाम ये हैं---गीता की हिंदी-टीका, सिखयुद्ध,महाभारत, सामुद्रिक, गीत-गोविंद गद्यानुवाद, देश की वात,विलायत की चिट्ठी, भरतपुर का युद्ध, सती सुखदेई, हिंदू-विधवा और चंदा । आप धन्य हैं कि बंगाली होकर भी हिंदी पर इतना अनुराग रखते हैं। श्रृंदावन में होनेवाले सोलहवें साहित्य-सम्मेलन के सभापति आप ही थे। (२३८६) श्रीधर पाठक ये महाशय पत्नी गली आगरा के रहनेवाले और नहर-विभाग में उच्च पदाधिकारी थे। अब पेंशन लेकर लूकरगंज प्रयाग में रहने लगे हैं। इनका जन्म १९१६ में हुआ था। ये बहुत दिनों से कविता करते हैं, और उजड़ ग्राम, इबैंजिलाइन, श्रांतपथिक तथा एकांतवासी योगी-नामक चार ग्रंथ अँगरेजी कविता के पद्यानुवाद खड़ी बोली में बना चुके हैं, और अपनी स्फुट कविता का संग्रह-स्वरूप मनोविनोद-नामक एक ग्रंथ प्रकाशित कर चुके हैं। इसमें कुछ संस्कृत कविता के अच्छी ब्रजभाषा में भी मनोहर अनुवाद हैं। श्राराध्य शोकांजलि, गोखले गुणा- टक, गोखले प्रशस्ति, गोपिका गीत देहरादून, भारत गीत, वनाष्टक,