पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/३४२

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वर्तमान प्रकरण १२७३ आपने २२ वर्ष की अवस्था में बी० ए० पास किया और संवत् ११३४ से ढाई वर्ष हिंदोस्तान-नामक हिंदी दैनिक पत्र का संपादन किया । इस पत्र के लेख देखने से मालवीयजी की हिंदी की योग्यता का परि- चय मिलता है । संवत् १९४९ में श्रापने एल० एल० बी० परीक्षा पास कर ली और तभी से श्राप प्रयाग हाईकोर्ट में वकालत करते थे। आपने वकालत में लाखों रुपए पैदा किए और फिर भी देश हित की ओर प्रधानतया ध्यान रक्खा । श्राप छोटे तथा बड़े लाट की सभाओं के सम्य हैं और युक्तप्रांतों के राजनीतिक विषय में नेता हैं | १९६६ में लाहौर की कांग्रेस के आप सभापति हुए थे। प्रयाग में हिंदू-बोडिंग- हाउस केवल आपके प्रयत्नों से बन गया। आपने सदैव लोकहित- साधन को अपना एकमात्र कर्तव्य माना है, और वकालत से बहुत अधिक ध्यान उस ओर रक्खा है। अब आप वकालत छोड़कर लोक-हित ही में लगे रहते हैं । आप अँगरेज़ी के बहुत बड़े व्याख्यान- दाताओं में हैं और शुद्ध हिंदी में धारा बाँधकर उत्तम व्याख्यान आपके बराबर कोई भी नहीं दे सकता । वर्तमान समय के बड़े-बड़े व्याख्यानदाताओं के व्याख्यानों में हमें बहुधा मूर्खमोहिनी विद्या ही देख पड़ी, पर मालवीयजी के व्याख्यानों में पंडित-मोहिनी विद्या पूर्ण- रूपेण पाई जाती है। आपका जन्म धन्य है और आपका जीवन वास्तव में सार्थक है । मालवीयजी ने कोई हिंदी का ग्रंथ नहीं रचा, पर आप लेखक बहुत अच्छे हैं । हिंदू-विश्वविद्यालय आप ही के परिश्रम का फल है। आप जिस समय उसकी अपील करने निकलते हैं तब लाखों ही रुपए इकडे कर लाते हैं । ईश्वर आपको चिरायु करे। . (२३८१) माधवप्रसाद मिश्र ये झज्झर जिला रोहतक के निवासी थे। प्रायः १८ साल हुए करीव ४० वर्ष की अवस्था में स्वर्गवासी हुए । श्राप सुदर्शन मासिक पत्र के संपादक और गद्य हिंदी के बड़े ही प्रबल लेखक थे। आपने