पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/३३९

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१२७० मिश्रबंधु-विनोद की अवस्था प्रायः ७० वर्ष की होगी। आपने घूम-घूमकर भारत में सभी प्रांतों में व्याख्यान दिए हैं, और अच्छी सफलता प्राप्त की है। (२३७६ ) महावीरप्रसाद द्विवेदी द्विवेदीजी का जन्म १९२१ में हुआ था। श्राप दौलतपुर, जिला . रायबरेली के निवासी हैं। आप पहले जी० आई० पी० रेल के झाँसी में हेडक्लॉक थे, जहाँ आपका मासिक वेतन १५०) था, परंतु हिंदी-प्रेम के कारण आपने वह नौकरी छोड़कर संवत् १९६० से सरस्वती का संपादन प्रारंभ किया, और तब से बराबर बड़ी योग्यता से आप उसे सं० १९७६ तक चलाते रहे। आपके संपादकत्व में सरस्वती ने बड़ी उन्नति की है। केवल एक साल अस्वस्थता के कारण आपने इस काम से छुट्टी ले ली थी। हिंदी की उन्नति का कार्य आप सदैव बड़े उत्साह से करते रहे। दो साल से आपने अस्वस्थ रहने के कारण सरस्वती का काम छोड़ दिया है, फिर भी कुछ-न-कुछ लोग इनसे लिखवा ही लेते हैं। आपने अपना अमूल्य पुस्तकालय नागरीप्रचारिणी सभा को दान कर दिया है, और अपनी संपत्ति का भी एक भाग हिंदी-प्रचार के लिये नियत कर दिया है। कुछ लोगों का विचार है कि आप वर्तमान समय में सर्वोत्कृष्ट गद्य- लेखक हैं । आपने बहुतेरे छोटे-बड़े ग्रंथों का गद्यानुवाद किया है। आपने कई समालोचना-ग्रंथ भी लिखें हैं, जिनमें नैषधचरितचर्चा और विक्रमांकदेवचरितचर्चा प्रधान हैं। कालिदास की भी समा- लोचना आपने लिखी है। आपने खड़ी बोली की कुछ कविता भी की है, जो प्रायः २०० पृष्ठों के ग्रंथ-स्वरूप में छपी है। आजकल आप अपने जन्म स्थान दौलतपुर में रहते हैं । आपके ग्रंथों में हिंदी- भाषा की उत्पत्ति, शिक्षा, संपत्तिशास्त्र, वेकनविचाररत्नावली, स्वतंत्रसा, सचित्र हिंदी-महामारत, जलचिकित्सा आदि हमने देखे हैं । इधर आपके लेखों के कुछ पुस्तकाकार संग्रह और निकले हैं।