पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/३३८

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वर्तमान प्रकरण दिननाथ तेज प्रचंड बस नहि नीर देखिय वाल में : डर लगत देखत बन सकल यहि कठिन प्रीपम काल में ॥४॥ नाम-( २३७२) फतेहसिंहजी ( चद) राजा, पवाया, जिला शाहजहाँपूर। ग्रंथ-(3) चंद्रोपदेश, (२) वर्णव्यवस्था, (३) फलित ज्योतिष सिद्धांत, (४) प्लेग-प्रतिकार, (५)स्फुट काव्य, समस्यापूर्ति इत्यादि। कविताकाल-वर्तमान । विवरण-ये पचाया के राजा हैं। कविता अच्छी करते हैं और कान्य तथा कवियों के बढ़े प्रेमी हैं। आपकी अवस्था इस समय लगभग ६५ साल के होगी। यह ग्रंथ हमने देखे हैं। इनके अतिरिक्त शायद आपके और भी ग्रंथ हों। (२३७३) बलवंतराव ये सेंधिया (प्रिंस) ग्वालियर-निवासी हैं ! ये भी हिंदी-गद्य लिखते हैं। श्रापका एक लेख सरस्वती पत्रिका की छठी संख्या में है। आपकी अवस्था इस समय लगभग ६४ साल के होगी। (२३७४) सूर्यप्रसाद मिश्र ये मकनपूर ज़िला फरुखाबाद के निवासी हैं। आप हिंदी के अच्छे व्याख्यानदाता एवं आर्य-समाजी हैं । आपने कान्यकुब्ज सभा के हित में विशेष यत्न किया, और बहुत-से लेख भी लिखे । कुछ दिन के लिये श्राप मातंडानंद नाम-धारण करके फकीर भी हो गए थे, परंतु अब फिर गृहस्थ हैं। आपकी अवस्था प्रायः ६४ वर्ष की होगी। सुकरात की मृत्यु और मार-पूजा-नामक दो ग्रंथ आपके हैं। (२३७५) दीनदयालु शर्मा व्याख्यान-वाचस्पति ये भारतधर्ममहामंडल के सबसे बड़े व्याख्यानदावा हैं। आपकी वाणी में बड़ा बल है, और आप बहुत उत्तम व्याख्यान देते हैं। आप-