पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/३३२

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वर्तमान प्रकरण (२३६६) जगन्नाथप्रसाद (भानु) आपका जन्म श्रावण शुक्ल १० संवत् १९१६ को नागपुर में हुश्रा था । श्राप बिलासपूर मध्य-प्रदेश में असिस्टेंट बंदोबस्त अफसर रहे हैं; जहाँ आपको ७००) मासिक मिलता था, अब ये पेंशन पाते हैं। श्राप कान्य-विषय का बहुत अच्छा ज्ञान रखते हैं । पिंगल तथा दशांग काव्य के.आप अच्छे ज्ञाता हैं । आपके रचित छंदःप्रभाकर तथा कान्य- प्रभाकर इस बात के साति-स्वरूप हैं । श्राप गद्य के अच्छे लेखक हैं, और पद्य-रचना भी अच्छी करते हैं। आपके रचित निम्नलिखित ग्रंथ हैं। आप संस्कृत, हिंदी, उर्दू, फारसी, प्राकृत, उदिया, मराठी, अँग- रेजी श्रादि भाषाओं के अच्छे ज्ञाता हैं। (१) छंदप्रभाकर, (२) काव्यप्रभाकर, (३) नवपंचामृत रामायण, (४) कालप्रबोध, (५) दुर्गा सान्वय भाषा टीका, (६) गुलज़ार सङ्घन उर्दू, (७) काव्य-कुसुमार्जलि, (८) छंदसारावली, (६) हिंदी-काव्यालंकार, (१०) अलंकारप्रश्नोत्तरी, रसरत्नाकर, काव्यप्रबंध इत्यादि । गवर्नमेंट ने आपको रायसाहब की पदवी से विभूषित किया है। . छंद को प्रबंध त्योंही व्यंग्य नायकादि भेद, उद्दीपन भाव अनुभाव पति बामा के, भाव सनचारी असथायी रस भूषन है. दूपन अदूषन जे कविता ललामा के। काव्य को विचार भानु लोक उक्ति सार कोष, काव्य परभाकर में साजि काव्य सामा के ; कोबिद कबीसन को कृष्ण मानि भेंट देत, अंगीकार कीजै चारि चाउर सुदामा के ॥ १ ॥ नाम-(२३६७) मानालाल (द्विजराम ) त्रिवेदी, मल्लावाँ जिला हरदोई।