पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/३२७

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१२५८ मिश्रबंधु-विनोद में १९६७ में अकस्मात् इनका शरीर-पात हो गया। ये ज्योतिष के बहुत बड़े पंडित थे, और भाषा एवं संस्कृत का बहुत अच्छा ज्ञान रखते थे। इनकी कीर्ति विलायत तक फैली थी। इन्होंने १७ ग्रंथ हिंदी में रचे । ये कुछ कविता भी करते थे और गद्य के बहुत भारी लेखक थे। जायसी की पद्मावत बड़े श्रम से इन्होंने संपादित की थी। ये सरल हिंदी के पक्षपाती थे। काशी-नागरीप्रचारिणी सभा के श्राप सभापति भी रहे हैं। (२३६१) रामशंकर व्यास ( पंडित) आपका जन्म संवत् १९१७ में हुआ था। आपने कई स्थानों पर नौकरी की और २५०) मासिक पर एक रियासत के मैनेजर रहे। आपने कई वर्ष कविवचनसुधा और प्रार्यमित्र का संपादन किया । आप भारतेंदु बाबू हरिश्चंद्र के अंतरंग मित्रों में थे। और उन्हें वह उपाधि पहले इन्हीं ने दी थी। व्यासजी ने खगोल-दर्पण, वाक्यपंचा- शिका, नैपोलियन की जीवनी, बात की करामात, मधुमती, वेनिस का बाँका, चंद्रास्त, नूतनपाठ, और राय दुर्गाप्रसाद का जीवनचरित्र- नामक ग्रंथ रचे । आप गद्य के एक अच्छे लेखक थे। (२३६२) जामसुता जाड़ेचीजी श्रीप्रताप बाला ये महारानी जामनगर के महाराज रिड़मलजी की राजकुमारी तथा नोधपुर के भूतपूर्व महाराज श्रीतखतसिंह की महारानी थीं। इनका जन्म संवत् १८६१ और विवाह संवत् १६० वैक्रमीय में हुआ था। ये बड़ी ही उदारहृदया और प्रजा को पुत्रवत् माननेवाली थीं। इन्हें स्वधर्म पर बड़ी ही श्रद्धा थी। इन्होंने अकाल में बड़ी उदारता से भोजन वितरण किया था और कई मंदिर भी बनवाए । यद्यपि काल की कराल गति से इनको कई स्वजनों की अकाल मौत के असह्य दुःख भोगने पड़े, तथापि इन्होंने धैर्य नहीं छोड़ा और धर्म पर अपना पूर्व- वत् विश्वास दृढ़ रक्खा । ये बड़ी विदुषी थीं और इन्होंने बहुत