पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/३२५

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मिश्रबंधु-विनोद वृत्तांतमाला, (८) ठग-वृत्तांतमाला, चार भाग, (१) पुलीस- वृत्तांतमाला, (१०) भूतों का मकान, (११) स्वर्णबाई उपन्यास, (१२) संसारदर्पण, (१३) बलबीरपचासा, (१४) बिरहा, (१५) ईसाईमत-खंडन, (१६)चित्तौरचातकी । नाम-(२३५८) जानकीप्रसाद पवार, जोहबेनकटी, जिला रायबरेली। ग्रंथ-(१) शाहनामा (उर्दू में भारत का इतिहास), (२) रघुवीरध्यानावली, (३) रामनवरत, (४) भगवती- विनय, (५) रामनिवास रामायण, (६) रामानंद-विहार, (७) नीति-विलास। कविताकाल-१९४० । विवरण इनकी कविता उत्कृष्ट यमक एवं अन्य अनुप्रास युक्त है। इनकी गणना तोष की श्रेणी में है- . बंदत अनंदकंद कीरति अमंद चंद, दरन कुफंद बूंद घायक कुमति के सिधि-बुधि-दायक बिनायक सकल लोक, सो हैं सब लायक त्यों दायक सुमति के। कोमल अमल अति अरुन सरोज पोज, . लजित मनोज बरदानि सुभ गति के विधनहरन मुद मंगल फरनहार, __ असरन “सरन चरन गनपति के । (२३५९) लालविहारी मिश्र (उपनाम द्विजराज) ये महाशय प्रसिद्ध कवि लेखराज, गधौली, जिला सीतापुर निवासी के बड़े पुत्र थे । इनका जन्म संवत् १६१५ के लगभग हुआ था और संवत् १९६२ में इनका स्वर्गवास हुआ । इनके दो पुन्न और एक कन्या विद्यमान हैं, पर उनका ध्यान कविता की अोर नहीं है।