पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/३२४

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वर्तमान प्रकरण . १२१५ जन्मकाल-१६१६ । कविताकाल-१९४०। विवरण-ये महाशय हल्दी-ग्राम-निवासी त्रिपाठी थे। इन्होंने स्फुट काव्य तथा गद्य-रचना की और बहुत-सी साहित्य- संबंधी पुस्तकें भी प्रकाशित कराई । आपने कवि- कीविकलानिधि-नामक ग्रंथ भी रचा, जिसमें भाषा के कवियों का हाल और ग्रंथ इत्यादि लिखे । यह ग्रंथ विशेषतया शिवसिंहसरोज के आधार पर लिखा गया । आपके भाषा-प्रेम और गवेषणा आदरणीय थे। थोड़े दिन हुए आपका देहावसान हो गया। परभात लौं केलि करी ललना गरे कच ऐडिन लौं छहरें; रसराती उनींदी भई अँखियाँ रद लागे कपोलन मैं छह । दरकी अगिया में उरोज लसें लट तापै अजान परी लहरें; मनौ केसरि कुंभ के भंग पै सुंदर सॉपिनि के चेटुवा बिहरे । (२३५७ ) रामकृष्ण वर्मा इनका जन्म संवत् १९१६ में, काशीपुरी में, हुआ था। इनके पिता हीरालाल खत्री थे । रामकृष्णजी ने बी० ए० तक पढ़ा था; पर आप उस परीक्षा में उत्तीर्ण न हो सके। ये गद्य और पद्य दोनों के लेखक थे। इन्होंने १९४० में भारतजीवन पत्र निकाला । इनके भारतजीवन-प्रेस में कविता के अच्छे-अच्छे ग्रंथ छपे, पर ये उनका मूल्य अधिक रखते थे । नाटकों की भी रचना इन्होंने की है। इनका शरीस्पात संवत् १९१३ में हो गया। इनके रचित तथा अनुवादित ग्रंथ ये हैं- (३) कृष्णकुमारी नाटक, (२) पभावती नाटक, (३) वीर नारी,(४) अकबर उपन्यास, प्रथम भाग, (५) अमलावृत्तांत- माला, (६) कथासरित्सागर, १२ भाग अपूर्ण, (७) कांस्टेबुल