पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/३२१

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१२५२ मिश्रवंधु-विनोद धृतसुधातरंगिणी, (१६) चूरनसंग्रह, (१७) प्रमेहतैल- सुधातरंगिणी, (१८) बृहत्रसराजमहोदधि, (११)रामे- श्वरमाहात्म्य, (२०) अयोध्यातीर्थयात्राज्ञान, [द्वि० ० रि०] (२१) जर्राहीप्रकाश । विवरण-वर्तमान । ये महाशय अच्छे वैद्य हैं, और कविता भी करते हैं । श्रापकी अवस्था इस समय लगभग ७८ साल के होगा। (२३४९ ) नाथूरामशंकर शर्मा ये हरदुआगंज अलीगढ़ के निवासी हिंदी के एक प्रसिद्ध सुकवि हैं । आप समस्यापूर्ति अच्छी करते थे, और आजकल खड़ी बोली की भी ललितरचना करते हैं। आपकी अवस्था इस समय प्रायः ७८ साल की है। आपने 'अनुरागरन', 'गर्भरंदारहस्य', वायसविजय श्रादि अनेक उत्तम ग्रंथ बनाए हैं। (२३५०) भगवानदास खत्री, लखनऊ ये हिंदी के पुराने लेखफ तथा शुभचिंतक हैं । इन्होंने कई पुस्तकें गध तथा पध की हिंदी में लिखा हैं। इनके बनाए और अनुवादित पश्चि- मोत्तर देश का भूगोल, ब्रेडलास्वागत, योगवासिष्ठ इत्यादि हमने देखे हैं। इनके अतिरिक्त और भी बहुत-से ग्रंथ आपने रचे तथा अनु- वादित किए हैं। नाम-(२३५१) चंडोदान कविराजा मोशन चारण, बूंदी। ग्रंथ-(१) सारसागर, (२) बलविग्रह, (३) वंशाभरण, (४) तीजतरंग, (१) बिरुदप्रकाश । . जन्मकाल-१८४८। कविताकाल-१९३९ । विवरण-महाराव राजा विष्णुसिंह बूंदी-नरेश के दरबार में थे।