पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/२९६

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१२२७ 'वर्तमान प्रकरण नाम---( २२३३ ) जोगजीत । ग्रंथ-पंच मुद्रा । [५० त्रै० रि०] नाम-(२२३४) परमानंद कायस्थ, ललितपुर । ग्रंथ-(१) रामायणमानसतरंगिणी, (२) अपराधभंजिनी- चालीसी । प्रथम त्रैवार्षिक खोज रिपोर्ट से इनके (१) प्रमोदरामायण (१९४२), (२) विक्रमविलास (१९४२), (३)हनुमत पैंतीसी (१९५४), (५) नीतिसुधा मंदाकिनी ( १९४८), (५) जानकीमंगल (१९४८), (६) मंजुरामायण (१९४६),(७)हनुमत विरुदावली (१९१०), (८) रामायणं मानसदर्पण (१९१०) () प्रतिपालप्रभाकर (१९९१), (१०) प्रताप चंद्रोदय (१९९६), (११) रामायण मानस- चंद्रिका (१९५८), (१२) मृगया चरित्र (१९५८), (१३) मंजावली रामायण (१९६०), (१४) वर्ण- चौंतीसी (१९६०),(१५) महेंद्र धर्म-प्रकाश (१९६१), (१६) सामंत रत्न (१९६१), (१७) प्रताप नीति- दर्पण (१९६१),(१८) ब्रह्मकायस्थकौमुदी (१९६३), (१६) पनाभरणप्रकाश (१९६४), (२०) राजभू- त्यप्रकाश (१९६४), (२१) नीतिमुक्तावजी (१९६४), (२२) राजनीतिमंजरी (१९६४), (२३) माधव- विलास (१९६४), (२४) नीति सारावली, (२५) लक्ष्मण पचीसा, (२६) हनुमत सुमिरनी, (२७) रामचंद्र पचासा, (२८) जानकीशृंगाराष्टक, (२६) गणेशाष्टक, (३०) विश्वभर सुमिरनी, (३१) महेंद्र- मृगयादर्श, (३२) रंभाशुकसंवाद, (३३) रलपरीधा- नामक ग्रंथों का पता चलता है।