पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/२८९

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१२२० मिश्रबंधु-विनोद

फहरै फुहारे फबि रही सेज फूलन सों

फेन-सी फटिक चौतरा के पहलन मैं ; चाँदनी चमेली चारु फूले बीच बाग आजु, बसिए बटोही मालती के महलन मैं ॥२॥ (२२००) श्रीकृष्ण जोशी ये एक बड़े सज्जन पहाड़ी ब्राह्मण थे। श्राप पहले बोर्ड माल के दफ्तर में नौकर थे, पर वहाँ से पेंशन लेकर बाराबंकी जिला में राजा पृथ्वीपालसिंह की रियासत के मैनेजर हुए। आपका जन्म संवत् १६३० के इधर-उधर हुआ होगा। आपकी बुद्धि बड़ी कुशान थी। आपने सूर्य की गरमी से शीशों द्वारा भोजन पकाने की भानुताप- नामक मशीन ईजाद की थी। आप हिंदी के लेखक और बड़े ही सज्जन पुरुष थे। थोड़े दिन हुए श्रापका शरीरांत हो गया। (२२०१) चंद्रिकाप्रसाद तेवारी ये रायसाहब जिला उन्नाव के निवासी कान्यकुब्ज ब्राह्मण हैं । __आपकी अवस्था प्रायः ७३ साल की है । श्राप बहुत दिनों से अजमेर में रहते थे। इनकी पुत्री इंगलैंड के प्रसिद्ध बैरिस्टर पंडित भगवान- दीन दुबे को ब्याही है। तेवारीजी रेल के ऊँचे कर्मचारी थे। आपने एक नौकरी से पेंशन ले ली और दूसरी में फिर आप अच्छा वेतन पाते थे। अब आपने उसे भी छोड़ दिया है । श्राप बड़े उत्साही पुरुष हैं । स्वामी दादूदयाल के ग्रंथ अापने शुद्धतापूर्वक प्रकाशित किए हैं । श्राप गद्य के अच्छे लेखक हैं। नाम-(२२०२ ) ज्ञारसोराम चौबे, बूंदी। ग्रंथ-(१) वंशप्रदीप, (२) सर्वसमुच्चय, (३) ललितलहरी, (४) रघुवीरसुयश-प्रकाश । जन्मकाल-१९१०। कविताकाल-१९३९