पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/२८८

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वर्तमान प्रकरण १२.४ इन्होंने ब्रह्मोत्तरखंड और शिवपुराण का भाषा गध में अनुवाद किया और शिवसिंहसरोज-नामक एक बड़ा ही उपयोगी ग्रंथ संवत् १९३४ में बनाया । उसमें प्रायः एक सहस्त्र कवियों के नाम, जन्म- काल और कान्य के उदाहरण लिखे हैं। इन्होंने कविता भी अच्छी ___ इनका नाम शिवसिंहसरोज लिखने के कारण भाषा-साहित्य में चिरकाल तक अमर रहेगा । जिस समय में कोई भी सुगम उपाय कवियों के समय व ग्रंथों के जानने का न था, उस समय ये बड़ी मेहनत और धन व्यय से इस ग्रंथ को. बनाकर भाषा-साहित्य- इतिहास के पथ-प्रदर्शक हुए। हिंदी-प्रेमियों और भाषा पर आपका अगाध ऋण है। इनकी कविता सरस व मनोहर है और कविता की दृष्टि में हम इनको साधारण श्रेणी में रखेंगे। उदाहरण- महिख से मारे मगरूर महिपालन को, बीज से रिपुन निरबीज भूमि के दई; शुंभ औ निशुंभ से सँघारि मारि म्लेच्छन को, . दिल्ली दल दलि दुनी देर बिन लै लई। प्रबल प्रचंड भुजदंडन सों खग्ग गहि, चंड मुंड खलन खेलाय खाक के गई। रानी महरानी हिंद लंदन की ईसुरी सैं, ईश्वरी समान प्रान हिंदुन के द्वै गई ॥१॥ कहकही काकली कलित कलकंठन की, कंजकली कालिंदी कलोल कहलन मैं ; संगर सुकवि ठंढ लागती ठिठोर वारी, ठाठ सब उटे उगि लेत टहलन मैं ।