पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/२८४

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वर्तमान प्रकरण १२१५ पढ़ना भली भाँति न हो सका। इन्होंने बहुत-से व्यापार किए, पर जमकर ये कोई व्यापार न कर सके । अंत में काशीजी में रहने जगे। हिंदी का इन्हें सदैव से बड़ा प्रेम था और इन्होंने अनुवाद मिला- कर प्रायः २० पुस्तकें रचों । प्रेमविलासिनी और हिंदी प्रकाश नामक दो पत्र भी नापने निकाले और प्रसिद्ध पत्रिका सरस्वती की प्रथम संपादक-समिति में यह भी सम्मिलित थे। इनका देहांत संवत् १६६१ में, काशीजी में, हुश्रा । ये सहाशय हिंदी के एक बहुत अच्छे लेखक थे और इनका गद्य परम रुचिर होता था। इनके ग्रंथों में से इला, प्रमिला, मधुमालती और जया हमारे पास प्रस्तुत हैं। (२१९४ ) केशवराम भट्ट इनका जन्म संवत् १९१० में, महाराष्ट्र-कुल में, हुआथा। इन्होंने १६३१ में बिहारबंधु पत्र निकाला । पीछे से ये शिक्षा-विभाग में नौकर हो गए। ये हिंदी के अच्छे लेखक और परम प्रेमी थे। विद्या की नींव, भारतवर्ष का. इतिहास (बँगला से अनुवादित), शमशाद सौसन नाटक, सज्जाद संबुल नाटक, हिंदी-व्याकरण, एक जोड़ अंगूठी, और रासेलस (अनुवाद)-नामक पुस्तकें इन्होंने लिखीं। इनका देहांत संवत् १९६२ के लगभग हुथा। ये विहार के रहनेवाले थे। (२१९५) तुलसीराम शर्मा ये परीक्षित गढ़ जिला मेरठ-निवासी थे । इनका जन्म संवत् १९१३ में हुआ । श्राप संस्कृत के बड़े भारी पंडित एवं आर्य-समाज के प्रधान उपदेशकों में थे। आपने सामवेदभाष्य, मनुभाष्य, न्यायदर्शनभाष्य, श्वेताश्वतरोपनिषत्भाष्य, ईश, केन, कठ, मुंडक भाष्य, हितोपदेश भाषा, सुभाषितरतमाशा और दयानंदचरितामृत-नामक ग्रंथ बनाए। (२१९६ ) गोविंद कवि ये महाशय पिपलोदपुरी के राजा दूलहसिंह के श्राश्रय में रहते थे, और उन्हीं की आज्ञा से संवत् १९३२ में इन्होंने हनुमन्नाटक का भाषा