पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/२७०

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१२०१ . वर्तमान प्रकरण दैनिक पत्र सम्राट नामक जारी किया था, परंतु कुटिल काल की गति से वह भी रमेशसिंहजी के साथ ही अस्त हो गया। (२१७६) गोविंद गिल्लाभाई इनका जन्म सिहोर रियासत भावनगर में श्रावण सुदी ११ संवत् १६०५ को हुआ था। आपके पिता का नाम गिल्लाभाई है। श्राप गुंज- राती हैं, और इसी भाषा में रचना करते थे, परंतु पीछे से हिंदी में भी करने लगे। आपके पास बहुत-से ग्रंथ हैं और आप हिंदी के बड़े प्रेमी तथा उत्साही हैं । आपने नीति-विनोद,श्चंगार-सरोजिनी (१९६५), षट्ऋतु ( १९६६),पावस-पयोनिधि (१९६२), समस्यापूर्तिप्रदीप, वक्रोक्तिविनोद, श्लेषचंद्रिका (१९६७), गोविंद ज्ञानबावनी (१९६०), प्रारब्ध-पचासा (१९६६) और प्रवीन-सागर की बारह- नहरी नामक चौदह पद्य ग्रंथ बनाए हैं, जो प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें काव्य अच्छा है। बहुत दिनों सक श्राप सरकारी नौकरी करते रहे । खेद है कि हाल ही में आपका स्वर्गवास हो गया। आपकी कविता ब्रजभाषा में है । आपने निम्नलिखित 'ग्रंथ और भी .(.) विवेक-विलास, (२) लक्षण-बत्तीसी (१९२६), (३) विष्णु-विनय-पचोमी (१९३७),(४) परब्रह्मपचीसी (१९३७), (१) प्रबोधपचीसी (१९३७), (६) शिखनखचंद्रिका (४६४१), (७) राधारूपमंजरी (१६४१), (८) भूषण- मंजरी (१६४५), () श्रृंगारषोदशी (१६४५), (१०) भक्तिकल्पगुम (१६४५), (७) राधामुखषोडशी (१९.), (१२) पयोधरपचीसी (१९५१), (१३) नैनमंजरी (१९१३), (१४) छबिसरोजिनी (१९५५), (१५) प्रेमपचीसी (१९५५) (१६) साहित्यचिंतामणि प्रथम भाग ( १९६५), (१७) रत्नावली- रहस्य (१९७१), (15) बोधबत्तीसी (१९७३), (१६) शब्द-