पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/२६५

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१९६ मिश्रबंधु-विनोद काम करके दरबार की ओर से प्राचीन शिलालेखों आदि की खोज का भी काम करते रहे । प्रत्येक पद पर अपने ऊँचे अफसरों को इन्होंने अच्छे काम से सदैव प्रसन्न रक्खा । पहले इन्हें उर्दू गद्य और पद्य लिखने का चाव था, पर पीछे से ये हिंदो-गद्य के भी अच्छे लेखक हो गए । इन्होंने उर्दू की बहुत-सी पुस्तकें बनाई और हिंदी में भी दरबार की आज्ञा से कानून तथा मनुष्य-गणना आदि से संबंध रखनेवाले छोटे-बड़े कई उपयोगी ग्रंथ रचे । इन्होंने सबसे अधिक श्रम इतिहास पर किया और बहुत छान-बीन करके इस विषय पर बहुत- से परमोपयोगी ग्रंथ रचे, जिन्हें इन्होंने ऐसी सरल भाषा में लिखा है कि प्रत्येक हिंदी पढ़ लेनेवाला परम स्वल्पज्ञ मनुष्य भी समझ सकता है। इतिहास के विषय पठित समाज में इनका प्रमाण माना जाता था। महिलामृदुवाणी तथा राजरसनामृत-नामक दो काव्य-ग्रंथ भी । इन्होंने संगृहीत किए और कवियों की एक नामावली संकलित की थी। इनके रचे हुए ऐतिहासिक जीवन-चरित्रों के नायक ये हैं- ___ अकबर, शाहजहाँ, हुमायूँ, तुहमास्प (ईरान का शाह ), बाबर, शेरशाह, साँगा (राणा), रतनसिंह, विक्रमादित्य (चित्तौर), धनवीर, उदयसिंह, प्रतापसिंह, पृथ्वीराज (जयपुर), पूरनमल, रतनसिंह, श्रासकरण, राजसिंह (जयपुर ), भारामल, भगवानदास, मानसिंह, बीकाजी, नराजी, लूणकरण, जैतसी, कल्याणमल, माल- देव, बीरबल (दो भागों में), मीराबाई, जसवंतसिंह (मारवाड़), खानखाना और औरंगजेब । . इनजीवनियों के अतिरिक्त नीचे लिखे हुए मुंशीजी के अन्य ग्रंथ हैं- जसवंत स्वर्गवास, सरदारसुखसमाचार, विद्यार्थीविनोद, स्वप्न राज- स्थान, मारवाड़ का भूगोल तथा नक्शा, प्राचीन कवि, बीकानेर राज- पुस्तकालय, इंसाफ़संग्रह, नारीनवरत, महिलामृदुवाणी, मारवाड़ के प्राचीन शिलालेखों का संग्रह, सिंध का प्राचीन इतिहास, यवनराज-