पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/२३८

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परिवर्तन-प्रकरण में स्वर्गवासी हुए अर्थात् ७७ वर्ष की आयु भोग कर मरे। ग्रंथ-~-() हितकल्पद्रुम (संस्कृत हितोपदेश भाषा में किया है), (२) संग्रामकलाधर (विराटपर्व),(३) समर- रत्नाकर (अश्वमेध ), (४) विजयविनोद (करौली के राजा की लड़ाई के विषय में), (५) मौजप्रकाश, (६) शिखनख, (७) गंगा भू आगमन । इनकी कविता का नमूना- कवित्त केकी भेकी कठिनह टीको मरि जैयो शिर, और परगात जरि जैयो कोसिलान को; केतकी सकुल कुल अनल वितल जैयो, हजियो कतल फल ललित लतान को । भने "रसनानंद" यों बीज निरचीज जैयो, तेज हत विक्रम निगोड़े पंचवान को; पिय रटि-रटि पपिहा को कंठ कटि जैयो, यश मिटि जैयो बजमारे बदरान को। नाम-(२१६६) हनुमानदोन मिश्र, राजापुर, जिला बाँदा। ग्रंथ-(१) वाल्मोकाय रामायण, (२) दीपमालिका । जन्मकाल-१८६२ कविताकाल~-१६२५॥ नाम-(२०६६) रणमलसिंह राजा साहब । विवरण-झालावाद प्रांत में भ्रांगधरा स्थान के झाला राजा साहब श्रीरणमलसिंहजी अमरसिंह के कुमार थे। अमरसिंह सन् १८४८ में स्वर्गवासी हो गए। पीछे उनके कमारजी ३२ वर्ष की आयु में गद्दी पर बैठे और सन् १८६६ में