पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/२२९

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११६० मिश्रबंधु-विनोद रचनाकाल-१९२४॥ विवरण-पिपरी-राज्य छत्रपूरवासी। नाम-( २५४३ ) शंकरलाल । ग्रंथ-~-कृष्णचंद्रिका [प्र. रि.1 रचनाकाल-१९२४। विवरण-~-रजधान जिला कानपूरवासी। नाम---(२०४३) स्वामो हरिसेवक साहब संत। ग्रंथ-सेवकबहर, सेवकतरंग । रचनाकान--1९२४। जन्मकाल-सं. १८८६ । मृत्युकाल-१९५६ विवरण-श्राप बलिया-निवासी शिवगोपाल के पुत्र थे । आप योगशास्त्र के अच्छे ज्ञाता थें। . उदाहरण- बचन बिस्वास को मदद गुरु श्रासले, त्रिगुण पिस्तौल बंधूम करु ग्राम को; लोप संतोष अरु ज्ञान गोला बना, बीर ना गने रण शीत और घाम को ।' बंधु सुत नारि परिवार सब बहर बनो है, ढाल कर बाल अरह जाम को; कहें हरिसेवक पद शीश दे गुरू को, विषय को मारि ललकार ले राम को। जै जै जै वालमीक बलिया जो प्रकट कियो, चारों दिशि खाई जाकी चौकी मुनीश्वर की ; पूरब पराशर दक्षिण गंगागर्ग दर दर भृगु, दक्षिण हैं कपिलदेव उत्तर दे कुलेश्वर की।