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राजवार्तिकालंकार, (४) रत्नकरंढन्यायदीपिका, (५) तस्वार्थमूत्र की वचनिका।

रचनाकाल----१६२० के लगभग । जैन लेखक थे।

नाम--(२११७/४ ) बख्तावरमल ( उपनाम रतनलाल)

ग्रंथ-(१) जिनदत्तचरित्र, (२) नेमिनाथपुराण, (३) चंद्रनभापुराण, (४) भविष्यदत्तचरित्र, (५) प्रीति- करचरित्र, (६) प्रद्युम्नचरित्र, (७) व्रत कथा कोप ।

रचनाकाल-१६२० के लगभग । जैन कवि थे।

नाम---(२११७/५) शिवचंद्र ।

ग्रंथ-(१) नीतिवाक्यामृत, (२) प्रश्नोत्तरश्रावकाचार, (३) सरदार्थसूत्र की वचनिकाएँ ।

रचनाकाल-१९२० अंदाजी। जैन इवि थे।

नाम-(३११७/६ ) शिवजीलाल, जयपूरवासी।

ग्रंथ-(१) रत्नकरंड, (२) चर्चासंग्रह, (३) बोधसार, (४) दर्शनसार, (५) अध्यात्मतरंगिणी।

रचनाकाल-१६२० अंदाज़ी ।

नाम--(२११८) जचंद जन ।

ग्रंथ--श्रीरामलीला कौमुदी।

जन्मकाल-१८९०।

कविताकाल-१९२० से १९६० तक।

विवरण-इनका यह ग्रंथ वार्तिक है और कहीं-कहीं इसमें छंद भी हैं। ७० बड़े पृष्ठों का चजभापा का ग्रंथ है। साधारण श्रेणी के कवि थे। ग्रंथ हमने छतरपुर में देखा है।

नाम-(२११८/१) स्वरूपचंद जैन।

ग्रंथ-(१) मदनपराजयवचनिका, (२) त्रैलोक्यसार ।