पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/२१४

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परिवर्तन-प्रकरण ११२ सुजान, नूतन ब्रह्मचारी, जैसा काम वैसा परिणाम आदि लेख इनके चमत्कारिक है । पद्मावती, शर्मिष्ठा और चंद्रसेन नामक उत्तम नाटक- अंथ भी भट्टजी ने रचे। नाम-(२०९५) आत्माराम । ग्रंथ-श्रृंगारसप्तशती (संस्कृत)। विवरण-१९२५ के पीछे इन्होंने बिहारीसतसई का संस्कृत में अनुवाद किया । भारतेंदुजी ने इनको १०१) उसका पारितोपिक भी दिया । अतः इनका रचनाकाल संवत् १९२५ के लगभग है। यथा- अपनय भवनाधाभयं राधे स्वं कुशलासि, हरिरपि धरति हरियुति यदि माधवमुपयासि । (२०९६) व्रज __ गोकुल उपनाम मज कायस्थ का जन्म संवत् १८५७ में हुआ तया संवत् १९६२ में ये स्वर्गवासी हुए । इनका संवत् १९१८ के लगभग कविताहाल है। ये बलरामपूर ज़िला गोंडा में हुए हैं। ये महाराजा दिग्विजयसिंह के यहाँ रहे । इन्होंने पंचदेवपंचक (१९२३), नीति- मातंड (१९२६), सुनोपदेश (१९३०), वामाविनोद, (१९३१), चौबीस अवतार (१९३१), शोकविनाश (१९३२), शक्तिप्रभाकर (१९३६), टिभि पाख्यान (१९३७), सुहृदोपदेश, (१९३७), मृगयामयंक (१९३७), दिग्विजयप्रकाश (१९३६), महारानीधर्म- चंद्रिका, एकादशोमाहात्म्य, कृष्णदत्तभूषण, अचलप्रकाश, महावीर- प्रकाश, दिग्विजयभूपण संग्रह (१९२५), अष्टयामप्रकाश (१९१८), चित्रकलाधर (१९२३ ), दूनीदर्पण, नीसिरसाफर (१९२१), और नीतिप्रकाश-नामक २२ ग्रंथ बनाए हैं । इनका कोई अंय हमारे देखने में नहीं आया, पर पूछ-पार से इन ग्रंथों के नाम निश्चय-पूर्वक जान