पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/२०४

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परिवर्तन-प्रकरण ४ लघमीश्वरनाकर ( महाराजा दरभंगा के नाम), रावणेश्वर कल्पतरू (राजा गिद्धौर के नाम ), ६ महेश्वरविलाल (ताल्लुक़दार रामपुर मथुरा जिला सीतापुर के नाम), ७ मुनीश्वर-कल्पतरु (राव मल्लापुर के नाम), ८ महेंद्रभूपण (राजा टीकमगढ़ के नाम ), है रघुबीर-विलास (बाबू गुरुप्रसादसिंह गिद्धौर के नाम ), और १० कमलानंदकल्पतरू ( राजा पूनिया के नाम)। इन ग्रंथों के अतिरिक्त इन्होंने नीचे लिखे हुए और भी ग्रंथ बनाए- ११ रामचंद्रभूषण, १२ हनुमतशतक, १३ सरयूलहरी, १४ राम- रत्नाकर, और ११ नायिकाभेद का एक और अपूर्ण ग्रंथ । ___ इनमें से बहुत-से रीति, अलंकार, भाव-भेद, रसभेद तथा स्फुट विषयों पर बड़े-बड़े ग्रंथ है। प्रेमरत्नाकर में इन्होंने बस्ती के राजा पटेश्वरीप्रसादनारायण का भी नाम लिखा है। इनका स्वर्गवास संवत् १९६१ में, अयाध्या में, हुआ था। इनके एक पुत्र भी है। ___ लछिराम की भाषा ब्रजभाषा है और वह सराहनीय है । इनके वर्तमान कवि होने के कारण इनकी ख्याति बड़ी विस्तीर्ण है। इनकी कविता उत्तम और ललित होती थी। हम इनको तोप कवि की श्रेणी में रखते हैं। उदाहरण- पन्नालाल माले गज-गौहर दुसाल साले, हीरालाल मोती मनि माले परसत हैं। महा मतवाले गजराजन के जाले बर, बाजी खेतवाले जड़े जीन दरसत हैं। कवि लछिराम सनमानि के लुटावै नित, सावन सुमेघ साहिबी ते सरसत हैं। महाराज सीतलायकस कर मौजन सों, बारिद लौं बारहौ महीने बरसत हैं।