पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/२०२

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

परिवर्तन-प्रकरण इनके विषय में बहुत-सी मज़ाक की बातें कही हैं । एक बार एक राजा ने इन्हें मखमली अचकन और पायजामा दिया, पर सर के लिये कोई वस्तु टोपी आदि का देना वह भूल गए। इस पर आपने कहा कि "वाह महाराज ! आपने मुझे ऐसा सिरोपाव दिया है कि घटा टोप।" इस पर लोगों ने झट टोप का भी घटा पूरा कर दिया। इनका कान्य प्रशंसनीय और सरस होता था। हम इन्हें पनाकर कवि की श्रेणी में रखेंगे। उदाहरण- बाटिका विहंगन पै, बारि गात रंगन पै, वायु वेग गंगन पै बसुधा वगार है। बाँकी बेनु तानन पै, बँगले बिठानन पै, वेस औध पानन पै बीथिन बजार है। वृदाबन वेलिन पै, बनिता नवेलिन पै, व्रजचंद केलिन पै बंसी बट मार है। धारि के कनाकन पै, बदलन बाँकन पै , बीजुरी बलाकन पै वरपा बहार है॥१॥ चारो ओर राजै औध राजै धर्मराजै. दुसमन की पराजै है सदाजै खतरान की ; ब्राह्मयच वासी भगवान ते उदासी कहैं, बीवियाँ मियाँ है तुम्हें खसा खफकान की। जानकी जहान की इमान की खराबी हाय, डूबा मनसूबा तूबा कसम कुरान की; रामजी की सादी फिरंगान की मनादी, हिंदुवान की अबादी बरयादी तुरकान की ॥२॥ प्राई देखि गुय्याँ मैं नरेश अँगनैया जहँ, खेलें चारौ भैया रघुरैया सुख पाय-पाय;