पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/२०१

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११३२ मिश्रबंधु-विनोद स्वर्गवास हो गया । कविता साधारण श्रेणी की है । इनका कविताकाल संवत् १९२० मानना चाहिए। उदाहरण- रहुरे बसंत तोहि पावस करौंगी श्राजु, ___ कोकिल के रचना के मोर सों नचावौंगी; टूक-टूक चंद्र के के जुगुनू उड़ाय देहौं, , तानि नभलीलपट घटा दरसाचौंगी। कहैं शालिग्राम यह चंद्रिका धनुष ज्योति, वेदन के कनिका से बंद झरिलावौंगी; कपटी कुटिल जिन भाल में लिखो है ऐसौ, नाज करतार-मुख कारख लगावौंगी। नाम-(२०६५) प्रभुराम । विवरण-ये काठियावाड़ में झालावाद प्रांत के धाँगधरा-राज्य के रहनेवाले थे, उन्हीं ने धाँगधरा के श्रीमानसिंहजी के नाम से "मानविनोद" नामक ग्रंथ बनाया है। दूसरा ग्रंथ वीर समाज के धनाढ्य राववंदीजन त्रिकमदास के नाम से "त्रिकमप्रकाश" बनाया है । यह प्रभुराम संवत् १८६० में जन्मे थे और संवत् १६४६ में स्वर्गवासी हुए। (२०८६) औध (अयोध्याप्रसाद वाजपेयी) ये महाशय सातन पुरवा, जिला रायबरेली के रहनेवाले महाकवि और सभा-चतुर हो गए हैं। इनका स्वर्गवास वृद्धावस्था में अभी सं० १९५० के लगभग हुआ है। इन्होंने साहित्य-सुधासागर, छंदानंद, रास- सर्वस्व, रामकवितावली, और शिकारगाह-नामक उत्तम ग्रंथ बनाए हैं। इनको अनुप्रास से विशेष प्रेम था। इनके मिलनेवालों ने हमसे