पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/१८१

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१११२ मिश्रबंधु-विनोद गुप्तजी संवत् १८८३ में जन्मे थे। जब इनकी उमर २७ वर्ष की हुई, तब साधु हो गए और अपना नाम 'गणेशपुरी' रखखा, और काशी में जाने संस्कृत पढ़ी। ये भाषा में अच्छी कविता करते थे । सुनने में आता है कि 'कान्य- प्रकाश' सारा ग्रंथ उनके जिह्वाग्र था। इन्हीं महाशय ने महाभारत के कर्णपर्व को भाषा में 'वीरविनोद' नाम से छपाया है । कविता में अपना नाम न रखके अपने पिता श्रीपाजी के नाम कविता करते थे। गणेशपुरीजी सारे राजपूताने में प्रख्यात हैं । परंतु जोधपुर और उदयपुर में विशेष रहते थे। क्योंकि जोधपुर के महाराजा जसवंतसिंह इनको बहुत मानते थे। नाम-(२०६५ ) कृपालुदत्त, काशी-वासी। कविताकाल-१९१५। विवरण-ये महाशय महामहोपाध्याय पं. सुधाकर द्विवेदी के पिता और एक अच्छे कवि थे। नाम-(२०६६) कृष्ण । जन्मकाल-१८८ कविताकाल-१११५। नाम-(२०६७) गयादीन कायस्थ, बाँदा । ग्रंथ-चित्रगुप्तवृत्तांत । जन्मकाल--१८६० कविताकाल---१९१५ । विवरण-फतेहपुर में तहसीलदार थे। यह ग्रंथ ज्ञानसागर प्रेस __ में छुपा है। नाम-(२०६८ ) गोमतीदास, अवध ।