पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/१८०

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११११ परिवर्तन-प्रकरण कविताकाल-१९१४ । विवरण-बंदी-दरवार में थे। साधारण श्रेणी।' नाम-(२०६३) अच्छेलाल भाट, कन्नौज । जन्मकाल-१८ । कविताकाल--१६१५॥ नाम-(२०६३) उरदास । विवरण-मथुरा के चौधरी अटक के चौथे । व्यास कलि के शिष्य । इनका 'उरदामप्रकाश' ग्रंथ बनाया हुआ है। ये संवत् १९१५ तक जीते थे। ग्वाज कवि के शिष्य थे। जोबन मुलक लही मदन महीपजू ने , - मोन छाप देके राखे भटजुग जोरदार ; उरज-चुरज में मवासी छल राशि मानों, नियमन अंतर बनक नीके और दार । 'उराम' शिशुता शहर चढ़ि लूटि लिए , शरम धरम बढ्यो एकहून और दार; ये न कंज खंजन, चकोर भौंर गंजन थे, करत कजाकी गजरारे नैन कोरदार । नाम-(२०६४) काशी। ग्रंथ-(१) गदर रायसो, (२) सा रायसो, (३) छछ दर रायसो। कविताकाल-१६१६ । [प्र. ० रि०] नाम-(२०६४) गणेशपुरी। विवरण-जोधपुर अंतर्गत पर्वतसन प्रगना के 'चारवास' नामक ग्राम के हिस्सेदार और वहीं के रहनेवाले । रोहडिया वारहट यतावत खाय के पदमजी चारन के दो पुत्र भए। बड़े का नाम 'रूपदान' और छोटे का 'गुप्तजी' । यह