पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/१५४

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परिवर्तन-प्रकरण २०५५ विवरण-ये महाशय प्रसिद्ध कवि कुलपसि मिश्र के वंशज थे। कविता साधारण श्रेणी की है। नाम-(१९६५) जवाहिरसिंह कायस्थ, पन्ना । इनका ठीक ग्रंथ-वैद्यप्रिया। कविताकाल-१६०० विदरण-महाराजा मानसिंह के समय में थे। नाम-(१९६६) दीनानाथ अध्वर्यु, मोहार । ग्रंथ-ब्रह्मोत्तरखंड भाषा। जन्मकाल-१८७६ । कविताकाल-१६०० नाम-(१९६७) दुलीचंद, जयपूर । ग्रंथ-महाभारत भाषा। कविताकाल-१६०० के लगभग । विवरण-महाराज रामसिंह जयपूर-नरेश की आज्ञा से बनाया था । नाम- (१६६७) चतुर्भुज मिश्र। विवरण-भरतपुर निवासी ने भरतपुर के महाराजा बलवंतसिंहजी की आज्ञानुसार सं० १RE में संस्कृत ग्रंथ कुत्रलयानंद का हिंदी कविता में भापांतर किया है, जिसका नाम "अलंकार प्रामा" रखा है। उसके दोहा- संवत रस निधि वसु शशी, शिशिर मकरगत भानु । माघ असित तिथि पंचमी, सुरु गुरु समे प्रमान ॥ १ ॥ मैन पथ्यौ भाषा विशद, पै ढिठौन चितवानि । भूप सुझस अरु बालहित, लखि बरन्यो रसमानि ॥२॥ नाम-(१९६८) नंदकुमार कायस्थ, वादा ।