पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/१५२

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परिवर्तन-प्रकरण इनकी संस्कृत की कविता उत्तम है। ये महाराज महारमा ऋपियों की तरह माने जाते थे और ये संवत् १९२५ तक जीवित रहे हैं। अतः इनका कविताकान संवत् ११०. हो सकता है। भाषा-कविता भी भक्ति पर में उत्तम की है। खोज [१९०१] में इनका अयोध्या- माहात्म्य-नामक एक और ग्रंथ मिला है। जिसका रचनाकाल १९२४ है। नाम-(१९५६) ऋषिजू । जन्मकाल-१८७२। कविताकाल-११००। विवरण-साधारण श्रेणी। नाम-(१९५७) कमलेश । अंय-नायिकाभेद का एक ग्रंथ । जन्मकाल-१८७० । कविताकाल--१६००। विवरण-साधारण श्रेणी। नाम-(१९५८) कृष्ण । ग्रंथ-विदुरप्रजागर । जन्मकाल--१८७०। कविताकाल-~-१६००। विवरण साधारण श्रेणी । यह कृष्ण कवि बिहारीसतसई के टीकाकार की रचना है। नाम-(१९५९)गुलाल । अंथ-शालिहोत्र। जन्मकाल-१८७१। कविताकाल-१९००।