पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/९३

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पूर्वघ्त प्रकरण । रचनाकार्ट–१७२० । विवर--मुशाही र कथि थे। ये महाराज गजसिंह के पुत्र और मारा जलचरास ६ मापामूरघका के बड़े भाई थे। अपने सलावत की साइजहाँ के दरबार में मारा ! इन चन्द्र के रायसी घर ज़ कर इकट्टा कराया । ये अपने दुत स्वभाव के कारण राजा न हुए और इनके छोटे भाई ने राज पाया। इन्हीं की प्रशंसा में यद्द दाद फदा गया | घन्य अमर से छत्रपति अमर तिदारा माम । ' साहिं जहाँ की गोद में इन्पो सलामत लान । -नाम-(४१८) ईश। छायाछ-१७२० । विवरण-नकी कविता शान्ति र शुगर की उत्तम हैं। इनकी | गुना ताप कवि की अंध में हैं। नाम-(४१६) घनाय । जन्मशाल–१६९०। (घनाका–१७२० । नाम--१६३०) गुप्ता मैतीसर, माघ । अन्ध-फुटकर गीत कविता । रतनाफर--१७२० के लगभग !