पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/७७

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तेराम ! १६ पूलिंकृत प्रकरण । | संक्षिन में अकसान चितान में मन्जु विद्धासन की सरसाई ॥ फा बिनु मेल थिका मद्द

  • मतिराम लहे मुकानि मिठाई ।

ज्यों ज्यों मारिया नेरे हैं नैननि त्य यो ब्ररी निसरै सी चिकाई । मारपल्ला मतिराम किरीट में कैठ बनीं इन माळ साहाई ।। भोदून की मुसुकानि मनाइर । | इस लिने ३ छबि झाई । लेछन होल चिंताठ थिलेफनि क्वीन विलेके भये बस माई। घा भुज की मधुराई कहा की मीठी सी अँक्रियानि नाई॥ ऊ नहीं चरनै मतिराम ही तितही जितही मन भाये।। काई की साई इजर की तुम | * कहिँ ध म ठाये !! मेषम दी न दो में दुका ये का रस घाद बढ़ाये । माग राई मी मन मैन मानन यि से ने मनाया ।