पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५४१

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५५ मिग्रवन्सुधिनाद। [ Gः ५८७० अन्ध-शादायी ।। कविताका१८७E के लगभग । विवरगा–थे झगदमदास के पुत्र या दाप्य थे, जिन्होंने झगः जीवनदाझी पध पाटपा गजर में पळाया है। इस मत के अनुयायी उत्तर में घत हैं। इनकै हुए करीब १०० घर्ष के हुए। नाम-(१२०३) धीर कवि । प्रय कवि प्रिया दीकर । कविताकाल--१८७० ।। वियर--महाराजा रिकशोर के यहां थे। नान-११३०४) मनीराम । कावताकाल-८० । पिपरप-चन्द्रशेखर फघि व पिता। नाम (१३०५) संगम । अन्मफल-१८४० । पविताकाछ-१८७० } पियसाधारण श्री । नाम-(१ २२ ६) अनन्तम । अन्य--वैद्य अन्य की भाषा । कविताकाल-१८७१ के पूर्व ।। वियप–महाराजा सवाई प्रताप जैपुरनरेश की अफ्रिानुसार लिया (१७७८–१८०३ सन्) कविता साधारण थे पी ।