पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४३३

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| मिधः पिनैः। [• १८॥ ठाएर जगन्मोहन घर्मा ने इन तिर लिग्नित ५ अन्य अन् , नाम लि हैं:- । तदनन्त, ४ाकाव्य । १८० सं० ), राप्रपा (सं० १८६७), माचिस ( सं १८२५) र रीलिनी ( सं १८४६ }। | महाशय फारसी के भी अॐ पनि धै। इस मापा में ये अपना नाम तल रग्नते थे | आप ने दीवानसन्मुल नामक एक झारखी ग्रन्य भी रचा । एक थार प्रम के दश६ ने इन साहित्यपटुतासम्बन्धिनी याचि सुन कर, इन्हें अपने यहां चुघा मेजा, परन्तु इन्होंने यहां जाना पसन्धु न कर के पद्द दादा लिए भैज्ञा :- सरी ट्रक र वार धुम्रा मारी नेम सँग । येते जे पर ही मिलै चन्दन पन भाग सोनहार नै यही कथा “fकी बेलखड़ी रईस' के विषय में लिया है। फहरौ हैं कि यदिशाह का अधिक दयाय पड़ा। और तब ये अयध में जाकर फाशी जी के चले गये। (६६६) कलानिधि। इन महाशय को एक नम्रशन्न मने ठाकुर शिवसई के मुत- कालिग में देखा है, परंतु उसमें संवत् चा पत्ता फुछ न दिया है । सत्र में इनका जन्म संवत् १८७७ दिया हुया ६ । यद्द नक्षत्र , र! पना है। इसमें हर अंग की पक दादा एवं उभी काय का