पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/३९४

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गोकुलनाम्यादि] अन्तरलिंकृत परिणे ।

- में ये कभी भी पागल भी हो जाते थें । इनका शरीरात संवत् १९२० में हुमा । काव्यप्रणाली में इममें गेाकुलमाय दास कवि फी और के और गैरपीनाथ व मनैव ताप फी कक्षा में हैं और फथा झालीगक कवियें में इनकी गणना छत्र कवि की श्रेणी में है । इन्होंने काव्यप्रकाराला में प्रज्ञभापा फै। प्रधान रक्षा, परन्तु कधा-वर्णन में इनकी कविता में अज्ञभापा र तुलसीदास की भापाई का मिक्षगा है। बायी है । इन्होने अनुमास जमादि का आवर न करके सीधी भाषा के प्रधान रेषा , फिर भी इन कविता बती जोरदार हैं। इन फचिये३ । भारी कया:मासु- गिक ग्रन्थ बनाया , अतः यदि इनके बदादरण कुछ बढ़ जायें ते पठिक हुमा क्षमा करेंगे। गोकुलनाथ । राधाकृषपविलास | सन के ध्रुति में उति कल केकिलको गुयजन हु के पुनि ठान के कथान की । गीफुल अरुन चरनबुज चे गुज पुंज | भुनि सी चद्दति चंचरीक रचान की ॥ दीतम के अपने समीप दी जुगुति हाति मैन म' तत्र फे वरन गुन गान की। सर्विन के कीनन में इटल हैददि परी सुखानि वै यदि चियाने फो।