पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/३९१

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मिभन्नु छ । [4» = निकाली । कैलादा पापा न लिख कर इनों ने विविध में घना की, सधैया, घनाक्षरी, पय, हलिया मः प्राधान्य मदों रो , और जा इन्द उठाया उसके कान शक घाया। इन परिवारली पार शक्ति हुने सराय । बहुत वडा घाम फरना था, परन्तु इनकी पैसा ई थी कि इन्होंने इस महा काय है। सफ्टना-गर्व न निंदना दिया भर रचना रिसा स्थान पर शिथिल न ? कथा कद को इन्होंने ऐसी कुछ अनेस्य हैंग नियों कि यद प्रायः सय करिये से पृषक ६ । फशा में ये dar पसी मिलती जुलती रचना करते थे कि यदि प्याय अपनी नाम न लिदतै वे समस्त फांबता पकड़ी झने में किसी का लेश मात्र सन्देद न घेता ! हद रचना वैली इन तीन कवियों की विलकुल एक हैं। " प्रपा अध्याय के पीछे इन्होंने रचयिता कायम छ ६। गोकुलनधि ने आदे। सभा, बन, विराट, है का अनुवाद किया, जिनमें से सम-ख ६ वक्ष " इनके नहीं है । इन्होंने भएप्स पर्व' के पद, द्रौप्य पके

मार शान्ति पर्व के गे अपारे का भी अनुवाद किया। गैपी. नै भीम पर द्रौउ पर्वो के शेष भाग, तथा अभ्यमंध, अधि। वास, मुशल और स्वादग्य, पर्वो पध हुरिता पुराए । अनुवाद किया । शान्ति पर्व के इन्दनै वेब ६० अध्याय लिखेल : मयदेव ने कप, शल्य, गदा, सैतिक, ऐपिक, विज्ञाफ, स्त्री और कुल ९६ दशक्ति र