पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/३३६

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५३६ दास-कान ] | इसराबंकृत प्रकरण । राष्ट्र के समय से राजा अमानसिंह के समय तक कालिंजर के किलेदार रहे। पंकज अरन रवि छवि के हरन चारि फल के फन देयत सम गए। विधि के सरन मे शिय की जरनै गावे धरा के धरन सदा छिय में रमाइए । जन ६ रने दुने दारिद् हुन । | असरन के सरन रोम म्या छ भ्याइ । संकट हरन भवधि के तरन सव सुघ के फरने गुरु घरन मगाइप ।। ६ ।। इस समय के अन्य कविगण । मामे--(७८) प्रेमसि । ग्रन्थ—(१) अरिल्लभ, (२) इरिबंस चारासा । रचनाकाल १७५१ । विवरण दिइवेश के अनुयायी । नाम-७४६) श्रीकृष्ण भट्स। अन्य (१) शुभकतरंगिनी, (२) सर जुट्स। रचनाकाळ-१७५६। विषय जैपुर दरबार में है। ३ नाम-(७५०) पाराम! प्रन्यो–भापायोतिपसार ।