पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/२९०

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सोमनाय] उत्तरात प्रकरण । | दाखी के समकको कवि हैं। इनकी कविता से दी छन्द ने उद्धृत किये जाते हैं। प्रीति नई नित फीज हैं सबसे छलकी धतरानि प हैं। सीखों ढिलाइ अच्चा ससिनाध में दिन छ कतै ज्ञान परी ६ ॥ और कहा कपि सजनी फडिनाई गरे अति आईन परी है। मानत है जो न कछु अब पैसा सुझान; पानि परी ६ ।। दिसि विदिसन से उमड़ मढ़ लीन्ह नम् छेड़ दी धुरचा जयासे जूथ जरिये । हड भए म चक ६वा के गुम । कहे फर्के भरला पुकार मोद भरिनै ५५ हि गये चातक जद्द के त देसात ही | सोमनाथ कई हूँदा दाहून करि । स्वार भश चार चहुँ ओर महिं मंडल में आए भन आए घन झाइकै उघारगे । (७३१) रसलीन । चैयद गुलाम नघी बिलगरामी उपनाम रसलीन फयि ने भार व” शताब्दी में कविता की थी। कस्। बिलगम जिला दुग्दै में हैं। यह मल्ल,” से पांच कोस की दूरी पर पित है। बिगा में थक दिने से बड़े बड़े दिवान् मुल्मान ६ते रहे हैं । अब भी सर्चमान हैं। पद पनि विद्या और गुण के लिए इतन उद्ध है कि लोग बिलगरामी होना पफ मदर-सूचक उपाएँ समझ ६ । यद सुपाधि रसलीम के समय में भी श्रद्धामाज्ञः