पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/२४५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मइवू ] पून प्रकरण । १६ गज़न सुकच कई चलत हुलत मही सुउन तैा अलवा को फरत गरड हैं। जाके मद जल्दी से नवी नद उमड़र भाव में जल्द सम दिरे दुरद हैं ।। नाम (६५७) वर मंदिनी मठ म. छत्रसाल के पाश पन्ना। मन्थीप्रकाश (रिष। फी भाग)। कविता-काल-9:७। बिबरण–साधारण शें । इनकी कविता बड़ी मधुर र सरस है। उदाहरण | वेद या पुरान कई शंभु य ध्यान रहे जोकी दुति नस्व अगे कद्दा दुति इंसे की। पंडित समुझि ली जा चू। सेा सुधारि दर्ज र रस लुभा पी जे प प्रप्त फी ॥ माल महाराज पूजन के चिराव गुन गाने पे रिझाने कामें वृद्धि अपहँस फी। इच्छा अन्य रसन की सिम टयास घवन की नाव करि माखी ल्याय साख हरिवंस की ॥ १ ॥ | (६५८) मह्बुब । व्रज में इनका जन्म-काल संवत् १७६१ दिगो टुमा है। इनका कई अन्य दैखने में न अायी पर छन्द बहुत दे गये हैं। इनकी | कपि अनुमास के लिये हुए जोरदार तो थी और नइ पूर्णतया प्रशंसनीय है। इम इन्हें तय की थै ॐ में रखेंगे।