पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/१९१

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| भादिग डेक्काल ] पूर्णकृत अकरा । नाम-(५६३) कंचन । कविता-का-६५४ के पूर्व । विवरण–इनका नाम सूदन कचि में किंग्सा है। माम (५६४) ॐ वर कविता-काल-१७५४ के पूर्व । विवरण-इनका नाम सुदन ने सुजानचरित्र में लिप्त है। नाम (५६५) व्रगपत। कविता-का–१५४ के पूर्व । विवरण—इनका नाम सदन में सुजानचरित्र में लिखा है। नाम (५६ ६) गयंद । कविता फाल–१६५१ के पूर्वं । पिपरा इनका नाम सूक्ष्म कवि ने लिया है। नमि—(५६७) चिजीव । धदिता-काल-१७५४ के पूर्व 1 विवरण सूदन नै इनका नाम लिम्रा है। माम–५६८) नीले। कविताफा–७४ पूर्व। माम–(५ ६६) जीव । कधिनकाल–१७५४ के पूर्ण ! पिपरा-नफा नाम सुदन जी ने सुझानचरित्र में लिया है। । नाम-५७०) टीकाराम । कवित-काल-१७५४ के पूर्व ।