पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/१३९

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पण-काल] पूनलंकृत प्रकरण । ११६ विचर-साधारण शेयः । नाम–(४८19) नदीन (जनुद्दीन), महम्मद् । कविताकाल---१७३६। विवरण-साधारस्य थे । एक पीठ का छन्द मन्यात । नाम-(४८८) सबल । अन्ध-मूता नैस की स्यारा । रचनावल–१३७। विवा-मूता नेइसी ख्याति राजपूताना का इतिहास है। आज कल सरकार इसके छपवाने का प्रयदा कर रही है। गिल भाव में यह ग्रन्थ है। नाम-१४८६) केविंद मिञ (जन्दमयि मिश्न ) डहा। अन्य १) भापदेितेपदेश, (२) जिभूपराए । रचनाक-७३७ ।। चरण-महाराजा पृथ्यौसि इज दतिया नरेश तथा बीतसिंह के यहाँ थे ! आप पुकवि थे। नाम (३६,०) दानिशमन्द। ग्रन्ध- फुट। बचनाका–१७३७ । विवर--रङ्गजेब के दरबार में थे। भइम-४६१) प्रद्युम्नदाह । अन्य-कायमञ्जरी।