पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/५९

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भूलिक काष्योत्कर्ष-प्रदर्शनार्थ कुछ श्रेणियाँ स्थिर कर दी हैं और कुछ श्रेणियों का एक-एक श्रेणी-नायक बना दिया है। विशेषतया कथासंग से संबंध में अखाड़े कवियों की १ सँभापति, २ दास, ३ पद्माकर, ५ तो, ५ साधारण और ६ हीरनामक छः श्रेणियाँ हैं। इनमें कन्योत्कर्ष की मात्रा इसी कथित क्रमानुसार है । कथा प्रासंगिक कवियों की लाल, छत्र और मधुबुदन दास-नामक तीन श्रेणियाँ हैं। लाद्ध की श्रेणी सेनापतिवाली श्रेणी से समुदता करती है, छत्र की तोषवालः से, तथा सदन दास की साधारण श्रेणी है। लाल की श्रेणी में अः कोई भी कवि नहीं पहुँचा । इसी कारण हमने लाख की भी सेनापति की श्रेणी में लिख दिया । ज्ञों अथा प्रासंगिक कविगण छत्र एवं मधुसूद्दन-श्रेणी से श्रेष्ठ समझ पड़े, उनी अन्य श्रेणियों में भी स्थान मिला है। कुछ कवि ऐसे निकले कि उनकी रचना तो पर चामत्कारिक है, परंतु श्राकार में बहुत ही छोटी हैं । उनको किसी श्रेणी में न रखकर हमने श्रेणीहम कवियों में रखा है। कुछ कविगण हैं तो बड़े-बड़े महात्मा था महाराज, परंतु उनकी रचनाएँ वैसी अच्छी नहीं हैं। इसी कारण इलकी श्रेणियों में न रखकर हमने उन्हें किसी श्रेणी में नहीं रखा। कई कारणों से कुछ अन्य महाशयों को भी किसी श्रेणी में रखना हमें उचित नहीं जान पड़ । बिनोद में कथित सैकड़ों कवियों की रचनाएँ देखने का हमें सौभाग्य नहीं हुआ। ऐसे खौगों को भी हम किसी भी श्रेणी में नहीं रख सके । प्रत्येक श्रेणी का कायोत्कर्ष श्रेणी-नायक-संबंधी समालोचना से प्रकट हो सकता है । साधारण श्रेणीवाले ऋविगण त-श्रेणी के नीचे हैं और हीन श्रेणीबालों की रचनाएँ सदोष हैं, यद्यपि यह नहीं कहा जा सकता किं उनमें