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मिश्रबंधु-विनोंद

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15 मिश्रबंध-विनोद तब सभ्य-समाज में ३ कैसे प्राइझ मानी जा सकती है। इन्हीं कारणों से इमने उन उपाधियों को न मानकर मंत्र में उनका उल्लेख नहीं दिया है। हमें आशा है कि उपाधिधारी महाशय हमें क्षमा करेंगे । । नाम-लेखन-शैली पुराने कवियों के नामों के पूर्व पंडित, बाबू, मिस्टर आदि लिखने की रीत नहीं है। इस अंध में पुराने लोगों से बढ़ते हुए धीरे-धीरे इस क्र्तमान लेखकों तक पहुँच गए हैं, परंतु भेद न डालने के विचार से हमनें वर्तमान लेखकों के नामों के प्रथम भी पंडित, बाबू आदि नहीं लिखा । आशा है कि लेखक हमें क्षमा करेंगे। वर्तमान लेखक बहुत लोगों का विचार है कि इतिहास-ग्रंथ में वर्तमान लेखकों का वर्णन न होना चाहिए । अँगरेज़ी-साहित्य-इतिहासकार वर्तमान लेखक का हाल नहीं लिखते हैं । शायद इस से हमारे यहाँ भी बहुत लोगों का यही मत है। पर हम बहुत विचार के बाद वर्तमान लेखकों का कथन : भी श्रावश्यक समझते हैं। इतिहास में वर्तमान काल भी सम्मिलित है, इसमें तो किसी प्रकार का संदेह नहीं हो सकता । साधारण इतिहास-ग्रंथों तक में वर्तमान समय का कथन सदैव होता है। ऐसी दशा में साहित्य के इतिहास से उसे निकाले डालने के लिये पुष्ट कारणों का होना आवश्यक है। कहा जा सकता है कि वर्तमान लेखकों पर निर्भयतापूर्वक सम्मति प्रकट करने से कलह का भय है, तथैव किसी वर्तमान लेखक के विषय में यह भी निश्चय नहीं हो सकता कि वह मरण-पर्यंत कैसा लेखक ठहरेगा ? कालहवाली आपत्ति में कुछ अल नहीं है, क्योंकि यदि उसे मान लें, तो वर्तमान लेखकों की रचनाओं पर समात्नौचनाओं का लिखना भी छोड़ना पड़ेगा। कहा जा सकता है कि दो-एक लेखकों पर समालोचना लिखनो और बात है, पर सभी वर्तमान लेखकों के गुण-दर्षों में दिखाने