पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/३९

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. भूमिका हिंदी-ग्रंथ-प्रसारक मंडल द्वारा एक पृथक् ग्रंश-रूप में छपवा दिए । फिर भी शेर इतिहास प्रथ का श्राकार कुछ बढ़ अवश्य गया, परंतु उसके घटाने का हुने विशेष प्रयत्न से नहीं क्रियः । हमने पहले काश-नारीप्रचारिणी सभा क वचन दिया था कि यह ग्रंथ उसी को प्रकाशनार्थ दिया जाया । पीछे हैं -प्रसारक मंडली ने इसे छापने का अनुरोध किया । सभः ने भी मंडल द्वारा ही इसका प्रकाशित होना स्त्रीकार कर लिया है हिंदु-नद्ररत्र के छापने में मै ढल ने बढ़ा सराहनीय उत्साह दिखलाया था। इस से हमके भी उसी के द्वारा इस ग्रंथ में प्रकाशित होने से प्रसन्नता हुई। इसमें अाज तक अपने क्रिस हिंदी-संबो कार्य इ ई श्रार्थिक हुभ नहीं उठाया, इस से स्वभावतः हमें उत्साही प्रकाश य प्राइन रुचिकर होता है । | नाम् । पहले हम इस ग्रंथ झा चुम्म हिदीशुदहित्य का इतिहास रखनेवाले थे, परंतु इतिहास का रांइती र चिंत्रार करने से ज्ञात हुआ कि हममें साहित्य-इतिहास लिने की पात्रता नहीं हैं। फिर इतिहास-ग्रंथ में छोटे-बड़े सभी कदि इदं देवकों को स्थान नहीं मिल सकता । इसमें भाश-संबंधी खुश हुई एरिवर्तनों पर त मुख्य रूप से ध्यान देना पड़ेगा, कवियों पर गण रूप से; परंतु हमने कैदियों पर भी पूरा ध्यान रखा है। इस कारण यह थ इतिहास से इतर बातों का भी कथन करता है । हमने इसमें इतिहास-संबंधी सुझी विपर्यों एवं पुरै के जाने का असाध्य पूर्ण * प्रयत्न किया, परंतु जिन घरों को इतिहास में होना अनावश्यक है, उन्हें के अंथ से नहीं हटाया । हमारे विचार * प्रायः सभी मुख्य एवं अनुख्य कत्रियों के नाम तथा उनके ग्रंथों के कथन से एक तों इतिहास में पूर्णता अाती हैं और दूसरे हिंदी-भांडार का गौरव प्रकट होता है । यदि कोई व्यक्कि किलो कृत्रि के विश्व में कुछ जानना चाहे