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मिश्रबंधु-विनोंद

मिशबंधु-विदोद भी है और उसका सृत्यु-काल इंदत् ३२४६ के डबभब्य हैं, तो उसका जन्म-कोल्ड संवत् ११८३ निकलता है। जल्हन उस देश कुछ छा और चे पुत्र को माता के थे, सो संभवः चंद्र की अग्नि- आई वर्ष की अवस्था में जल्न उत्पन्न हुआ होगा। पृथा हुवरि कई शिवह संवद् १२२१ के लगभग हुअा था और उस समय इना गुप्त हो चुका था कि वह सुमसिंह ने उसे सहठ दावा में लिया है अलः उसका जन्म-काल संवत् १३०५ के खनाए थेला हैं। छत्र पृथ्वी संवत् १३४८बाळे युद्ध में शहाबुद्दीन ग्री हो। पकड़ लिए: अणु, तय ६ उनके क्लङ्क के विचार में शर इया । उस समय उसने लिखा है कि उसने जल्हल के रासो देकर अज़ी की और प्रस्थान किंवा । --- . . . पति पुत्र कांड चद् ॐ सुदर में जान । ... इक्क जलह गुल कादरी पुच समुंद सनिं मान । अर्हदे अंत अनि बृच्चि मन अ%ि गुर्द गुनराञ्च । । 'पुस्तक रहन हवं दै चाल गुञ्जन नृप काज । इसके फीछे राह में हों अब है, वह सब जुल्हन कृत हैं ! ज्ञान पड़ता है: ॐि पृथ्वीराज के अंतिम संवत् १२४८वाले युद्ध का भी कुछ भाग 'लहून ही में बनाया, क्योंकि चंद उस समय दर जाने की प्रक्रिया में था, के इस खेल को उसे अधूरः ही छोड़ना अधिक संक्त जाह इतर है। से से अपने संबंध को बहन ने इस कार खिा ।

  • : थम बेश् दुद्धर दंभ सहन कि ।

लियं यं रह रचि र जस लिया।

  • * * * : के बर्थ जैसे श्वरम् उ सुर सनिं ।